Shodashi No Further a Mystery

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पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिः सम्पदां या

ह्रीं श्रीं क्लीं परापरे त्रिपुरे सर्वमीप्सितं साधय स्वाहा॥

आर्त-त्राण-परायणैररि-कुल-प्रध्वंसिभिः संवृतं

The essence of those rituals lies in the purity of intention plus the depth of devotion. It is not basically the exterior actions but The interior surrender and prayer that invoke the divine existence of Tripura Sundari.

पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥

प्रणमामि महादेवीं परमानन्दरूपिणीम् ॥८॥

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

षट्पुण्डरीकनिलयां षडाननसुतामिमाम् ।

ह्रीङ्काराम्भोधिलक्ष्मीं हिमगिरितनयामीश्वरीमीश्वराणां

Hence, the Shodashi mantra is chanted to generate just one way more attractive and hypnotic in everyday life. This mantra can change your daily more info life in times as this is an extremely effective mantra. A single that has mastered this mantra gets to be like God Indra in his existence.

ऐसी कौन सी क्रिया है, जो सभी सिद्धियों को देने वाली है? ऐसी कौन सी क्रिया है, जो परम श्रेष्ठ है? ऐसा कौन सा योग जो स्वर्ग और मोक्ष को देने वाला? ऐसा कौन सा उपाय है जिसके द्वारा साधारण मानव बिना तीर्थ, दान, यज्ञ और ध्यान के पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर सकता है?

वाह्याद्याभिरुपाश्रितं च दशभिर्मुद्राभिरुद्भासितम् ।

The Sadhana of Tripura Sundari is a harmonious blend of looking for pleasure and striving for liberation, reflecting the dual areas of her divine mother nature.

It is generally located that wisdom and prosperity usually do not remain with each other. But Sadhana of Tripur Sundari gives both of those in addition to removes sickness and various ailments. He by no means goes under poverty and will become fearless (Shodashi Mahavidya). He enjoys each of the worldly joy and receives salvation.

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